कंप्यूटर नेटवर्किंग की दुनिया में OSI Model एक बहुत ही महत्वपूर्ण कांसेप्ट है। यह एक reference model है जो नेटवर्किंग को 7 स्तरों (layers) में विभाजित करता है। इसका उद्देश्य यह है कि नेटवर्किंग के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग layers में बांटकर, उन्हें आसानी से समझा और विकसित किया जा सके।
OSI Model का पूरा नाम क्या है?
OSI का पूरा नाम है Open Systems Interconnection। इसे ISO (International Organization for Standardization) द्वारा विकसित किया गया था।
OSI Model क्यों बनाया गया?
कंप्यूटर नेटवर्किंग में अलग-अलग कंपनियों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए एक मानक प्रणाली की आवश्यकता थी। इसलिए OSI Model को बनाया गया ताकि सभी नेटवर्क डिवाइस एक ही तरीके से एक-दूसरे से कम्युनिकेशन कर सकें।
OSI Model की 7 Layers कौन-कौन सी हैं?
- 1. Physical Layer
- 2. Data Link Layer
- 3. Network Layer
- 4. Transport Layer
- 5. Session Layer
- 6. Presentation Layer
- 7. Application Layer
1. Physical Layer (भौतिक परत)
OSI Model की सबसे नीचे की लेयर है Physical Layer। इसे Layer 1 भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य है – डाटा को physical medium जैसे कि केबल, वायर, वायरलेस वेव आदि के माध्यम से एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक ट्रांसमिट करना। यह layer केवल raw bit stream को हैंडल करती है, यानी इसमें डाटा को 0 और 1 के फॉर्म में electrical, optical या radio signals के रूप में भेजा जाता है।
यह लेयर यह सुनिश्चित करती है कि एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक डाटा सही तरह से पहुंचे। इस परत में डेटा को actual transmission medium पर भेजा जाता है, जैसे – twisted pair cable, coaxial cable, fiber optic cable, और wireless transmission। इस layer पर कोई डाटा interpretation नहीं होती – यह केवल physical signal भेजती और प्राप्त करती है।
महत्वपूर्ण घटक:
- Transmission Media (केबल, वायरलेस)
- Network Interface Cards (NICs)
- Repeaters, Hubs, Modems
- Signal Encoding Techniques
उदाहरण: जब आप अपने लैपटॉप को Wi-Fi से कनेक्ट करते हैं, तो Physical Layer ही उस सिग्नल को हवा में भेजने और प्राप्त करने का काम करती है।
2. Data Link Layer (डेटा लिंक लेयर)
OSI Model की दूसरी लेयर है Data Link Layer। यह physical layer द्वारा प्राप्त raw data को organized format (frames) में बदलती है और उसे error-free transmission के साथ manage करती है। इसका मुख्य उद्देश्य है error detection और correction।
यह layer source और destination MAC address की पहचान करके communication स्थापित करती है। इस layer में दो उप-स्तर होते हैं:
- Logical Link Control (LLC): यह layer protocols को manage करती है और error control का काम करती है।
- Media Access Control (MAC): यह डिवाइस को नेटवर्क पर data access करने का तरीका बताती है।
महत्वपूर्ण कार्य:
- Frame creation and delivery
- MAC addressing
- Error detection और correction
- Flow control
उदाहरण: जब कोई नेटवर्क डिवाइस Ethernet के जरिए कनेक्ट होती है, तो MAC Address की मदद से डाटा ट्रांसफर होता है – यह सब Data Link Layer के माध्यम से होता है।
3. Network Layer (नेटवर्क लेयर)
Network Layer OSI Model की तीसरी लेयर है। इसका काम है डेटा पैकेट को source से destination तक route करना। इस लेयर पर logical addressing (IP Address) का उपयोग होता है, जो यह तय करता है कि डाटा कहां जाना है। यह layer Routing protocols का प्रयोग करती है, जैसे RIP, OSPF, BGP आदि।
महत्वपूर्ण कार्य:
- IP Addressing
- Packet Forwarding और Routing
- Fragmentation और Reassembly
- Congestion Control
उदाहरण: जब आप किसी वेबसाइट को access करते हैं, जैसे www.google.com, तो DNS IP address ढूंढ़ता है और Network Layer उस IP के आधार पर डेटा को सही गंतव्य तक पहुंचाने का रास्ता तय करती है।
4. Transport Layer (ट्रांसपोर्ट लेयर)
Transport Layer OSI Model की चौथी लेयर है जो कि डेटा ट्रांसफर को reliable और error-free बनाती है। यह layer end-to-end connection establish करती है और यह सुनिश्चित करती है कि भेजा गया डेटा बिना गड़बड़ी के सही क्रम में प्राप्त हो। यह layer TCP (Transmission Control Protocol) और UDP (User Datagram Protocol) जैसे प्रोटोकॉल्स का प्रयोग करती है।
मुख्य कार्य:
- Segmentation और Reassembly
- Connection establishment, maintenance और termination
- Flow control और error control
- Multiplexing
TCP vs UDP: TCP एक reliable protocol है जो acknowledgment का उपयोग करता है, जबकि UDP fast but unreliable है। वीडियो स्ट्रीमिंग में UDP और फाइल ट्रांसफर में TCP का उपयोग होता है।
5. Session Layer (सेशन लेयर)
Session Layer OSI Model की पांचवी लेयर होती है जो दो applications के बीच session establish, maintain और terminate करने का काम करती है। यह layer यह सुनिश्चित करती है कि अगर connection किसी कारण से टूट जाए, तो उसे फिर से resume किया जा सके।
उदाहरण के लिए, जब आप किसी website पर लॉगिन करते हैं और session timeout होता है, तो वह session Session Layer द्वारा handle किया जाता है। यह Authentication, Authorization और Session Restoration जैसे कार्य भी करती है।
कार्य:
- Session establishment
- Dialog control
- Token Management
उदाहरण: Zoom या Google Meet पर चलने वाली meetings में session का शुरू होना और खत्म होना Session Layer द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
6. Presentation Layer (प्रेजेंटेशन लेयर)
यह OSI Model की छठी लेयर है और इसे syntax layer भी कहा जाता है। इसका कार्य है डेटा को इस तरह format करना जिससे कि receiving system उसे समझ सके। इसमें data translation, encryption और compression शामिल होते हैं।
Presentation Layer यह सुनिश्चित करती है कि sender द्वारा भेजा गया डेटा receiver के लिए समझने योग्य हो। यह विभिन्न प्रकार के encoding और character sets को एक common format में बदलती है।
मुख्य कार्य:
- Data formatting और syntax translation
- Data encryption और decryption (जैसे SSL, TLS)
- Data compression (जैसे ZIP files)
उदाहरण: जब आप किसी वेबसाइट पर सुरक्षित कनेक्शन (HTTPS) से लॉगिन करते हैं, तो आपका पासवर्ड encryption के जरिए सुरक्षित किया जाता है – यह कार्य Presentation Layer करती है।
7. Application Layer (एप्लिकेशन लेयर)
OSI Model की सातवीं और सबसे ऊपर की लेयर है Application Layer। यह layer सीधे यूजर से जुड़ी होती है और user interface प्रदान करती है ताकि यूजर नेटवर्क सेवाओं का उपयोग कर सके। इसका काम होता है यूज़र की applications को नेटवर्क से जोड़ना।
इस layer पर काम करने वाले protocols में शामिल हैं – HTTP, FTP, SMTP, DNS आदि। जब आप वेब ब्राउज़र में कोई वेबसाइट खोलते हैं, तो वह Application Layer का ही काम है।
मुख्य कार्य:
- User Interface प्रदान करना
- High-level protocols का इस्तेमाल
- Mail, Web Browsing, File Transfer आदि सेवाएं
उदाहरण: जब आप Gmail खोलते हैं, तो Email भेजना और प्राप्त करना Application Layer की मदद से होता है।
टेबल: OSI 7 Layers का सारांश
लेयर क्रम | लेयर का नाम | मुख्य कार्य |
---|---|---|
7 | Application Layer | यूज़र को नेटवर्क सेवाएं देना |
6 | Presentation Layer | डेटा को format और encrypt करना |
5 | Session Layer | Session का प्रबंधन |
4 | Transport Layer | Reliable डेटा ट्रांसफर |
3 | Network Layer | IP Routing और addressing |
2 | Data Link Layer | Frames और error control |
1 | Physical Layer | Signals का transmission |
OSI Model और TCP/IP में क्या अंतर है?
- OSI में 7 Layers होती हैं जबकि TCP/IP में 4 Layers होती हैं।
- OSI एक theoretical model है, TCP/IP practically implement होता है।
- TCP/IP का उपयोग इंटरनेट में ज्यादा होता है।
निष्कर्ष
OSI Model नेटवर्किंग की नींव है। इसकी 7 layers नेटवर्किंग को समझने और troubleshoot करने में मदद करती हैं। अगर आप कंप्यूटर नेटवर्किंग सीख रहे हैं, तो OSI Model को गहराई से समझना बहुत जरूरी है।